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कार्मुकम्
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bow
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
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शिवधनुर्वेदः - अथ फललक्षणानि
शिवधनुर्वेदः
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १५१
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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जम्बुकाख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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भविष्यपर्व - पञ्चाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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मार्कण्डेयपुराणम् - विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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सूर्य सिद्धांत - चंद्रग्रहणाधिकारः
सूर्य सिद्धांत म्हणजे भारतीय खगोलशास्त्रावरील टीका आहे . हा ग्रंथ वराहमिहीरने लिहीला . याचे प्राचीन उल्लेख बौद्ध काळी तिसर्या शतकात मिळतात .
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श्रीवामनपुराण - अध्याय २०
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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युद्धकाण्डम् - काव्य ४५१ ते ५००
युद्धकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सहावे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
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वामनपुराण - अध्याय २० वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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सुभाषितरत्नकोशः - वीरव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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सूर्य सिद्धांत - त्रिप्रश्नाधिकारः
सूर्य सिद्धांत म्हणजे भारतीय खगोलशास्त्रावरील टीका आहे . हा ग्रंथ वराहमिहीरने लिहीला . याचे प्राचीन उल्लेख बौद्ध काळी तिसर्या शतकात मिळतात .
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भविष्यपर्व - चतुष्पञ्चाशत्तमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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काव्यालङ्कारः - द्वितीयः परिच्छेदः
काव्यालङ्कारः
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काव्यालंकारः - द्वितीयः परिच्छेदः
प्रस्तुत काव्यालंकार ग्रंथ सातव्या शताब्दीत लिहीला गेला.
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शर
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १५३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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वामनपुराण - अध्याय ७० वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ७०
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ८३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ८४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नैषधीयचरितम् - अष्टादश सर्गः
महाकवि श्रीहर्षरचितं नैषधीयचरितम् हा ग्रंथ म्हणजे संस्कृत भाषेतील अतिउत्तम रचना होय.
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लक्ष्मी
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